हींग ऐसा मसाला है जो हम सबकी रसोई में जरूर उपलब्ध होता है। इसका प्रयोग पूरे भारत में किया जाता है। कहीं बहुतायत मात्रा में तो कहीं सामान्य मात्रा में…..
ऐसा मानना है कि हींग मुगलों के समय में भारत आयी थी। मूलतः हींग का उत्पादन ईरान और अफगानिस्तान में होता है। लेकिन भारतीय प्राचीन पुस्तकों से पता चलता है कि भारत में हींग का इस्तेमाल मुगलों के आने से पहले से होता चला आ रहा है।
भारत में हींग की चर्चा आयुर्वेद से लेकर घरेलू नुस्खों में है। भारतीय चिकित्सा विज्ञान अर्थात आयुर्वेद के मानक ग्रंथ चरक संहिता में भी हींग का जिक्र किया गया है। ये सिद्ध करता है कि हम हींग का सेवन कई ईसा पूर्व से कर रहे हैं।
लेकिन सोचने की बात है कि हम हींग का सेवन क्यों करते हैं?
हींग भोजन के पाचन में सहायक है। अगर आपको गैस जैसी कोई भी समस्या हो तो एक चुटकी हींग का सेवन आपको काफी आराम दे देगा। भारतीय भोजन में हींग का उपयोग अधिक लाभकारी साबित होता है क्योंकि यहाँ भोजन में स्टार्ट का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
छोटे बच्चों को अगर पेट में दर्द होता है तो उनकी नाभि में एक चुटकी हींग लगा दी जाती है तो बच्चों को जल्द दर्द से आराम मिल जाती है। नवजात बच्चों के सिर में भी एक चुटकी हींग लगाई जाती है।
आप समझ पा रहे होंगे कि भारत में हींग का प्रयोग काफ़ी किया जाता है जबकि भारत में हींग का उत्पादन बहुत कम होता है कहने का आशय है कि हम बड़ी मात्रा में इसका आयात ईरान, अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों से करते हैं। हींग का उत्पादन ठंठे और शुष्क वातावरण में बेहतर होता है। भारत में हींग की कुछ किस्में कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में उगाई जाती हैं। परंतु जो इसकी मुख्य या उच्च क्वालिटी की किस्म फेरुला एसाफोइटीडा है उसका उत्पादन भारत में नहीं होता है। हींग का पौधा गाजर और मूली के पौधों की श्रेणी में आता है।
हींग के उत्पादन से हमारे प्रयोग में लायी जाने वाली हींग का प्रोसेस काफ़ी कठिन है। ये पौधे की जड़ से निकाले गए रस से बनायी जाता है। हींग बनने की मुख्य प्रक्रिया रस निकलने के बाद शुरू होती है। कच्ची हींग की गंध बहुत तीक्ष्ण (तीखी) होती है उसका सेवन नहीं किया जा सकता है। स्टार्च और गोंद मिलाकर उसे खाने लायक बनाया जाता है। जो छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में होता है। आगे प्रक्रिया में इसे पीसकर डिब्बाबंद करके बाजारों में पहुँचाया जाता है।
बताया जाता है कि हींग दो प्रकार की होती है। एक सफेद प्रकार की और दूसरी लाल प्रकार की… सफेद हींग पानी में आसानी से घुल जाती है और लाल हींग तेल में घुल जाती है।
भारत में आप बड़े बाजारों में जैसे जाएँगे आपको हींग की महक बेचैन कर देगी साथ ही आपको इसकी उपयोगिता और होने वाले उपयोगों का भी अंदाजा लग जाएगा। भारत में शुद्ध हींग की खोज आपको कई दुकानों पर ले जाएगी, इसकी महत्ता इतनी है कि यहां हींग बड़ी दुकानों में सोने की भाँति तोले में मिलती है।
कढ़ी, बैगन, अरबी, वरन, सांभर या कहें कि लगभग सब्जियों में हम एक चुटकी हींग का प्रयोग करने से नहीं चूकते हैं। दक्षिण भारत में एक चुटकी हींग लगभग हर व्यंजन का हिस्सा होती है। मांसाहारी भोजन और गरिष्ठ भोजन में हींग मुख्य तौर पर प्रयोग की जाती है क्योंकि ये पाचन में सहायता करती है।
कुछ लोगों को हींग की गंध पसंद नहीं आती, वो अपने भोजन में इसे शामिल नहीं करते हैं। हालांकि भोजन में प्रयोग होने के बाद इसकी गंध काफ़ी कम हो जाती है परंतु फिर भी कई लोगों द्वारा इसका स्वाद पसंद नहीं किया जाता है इसलिए कुछ लोग हींग को ‘डेविल्स डंग’ कहते हैं।
हींग भारत में तो प्रयोग की ही जाती है एवं इसके पड़ोसी देशों में भी इसका खूब प्रयोग किया जाता है। अरब देशों में एक चुटकी हींग का इस्तेमाल भोजन एवं दवा दोनों रूप में होता है।
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