भारतीय रसोई में मसाले के रूप में उपयोग आने वाला तथा लसन व रसोन आदि नामों से पुकारा जाने वाला लहसुन रसोन कुल का सदस्य है। इसे भूलोक का अमृत भी कहा जाता है।
लहसुन पर हुए चिकित्सकीय अनुसंधानों से पता चलता है कि लहसुन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने जबरदस्त क्षमता है।कोलेस्ट्रॉल रक्त में पाए जाने वाला मोम की तरह का एक वसीय पदार्थ है, जो शरीर के लिए आवश्यक होता है। जब शरीर मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो समस्या पैदा होने लगती है। यह धमनियों में जमा होकर इन्हें अवरुद्ध कर देती है जिससे हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। रक्तवाहिनियों व धमनियों की आंतरिक दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल के चिपक जाने से एथरोएसक्लोसिस होता है और बाद में दिल का दौरा पड़ता है।
बेंगाजी विश्वविद्यालय, लीबिया के पैथोलोजिस्ट डॉ आर. सी. जैन ने लहसुन पर कई प्रयोग किए हैं। उनके अनुसार, लहसुन में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की काफी प्रभावशाली गुण है। यदि लहसुन का नियमित सेवन किया जाए तो कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटने लगता है और कुछ दिनों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव दूर हो जाने से रक्त वाहिनियां साफ हो जाती हैं।
उन्होंने प्रयोग के दौरान जब खरगोश को कोलेस्ट्रॉल युक्त आहार 16 सप्ताह तक खिलाया तो पाया कि इतने दिनों में खरगोश की मुख्य धमनी और जिगर में कोलेस्ट्रॉल का काफी जमाव हो गया था किंतु जब उसे लहसुन खिलाया गया तो कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटने लगा एवं वसा का जमाव दूर हो गया।
लंदन से प्रकाशित होने वाले मेडिकल साप्ताहिक ‘द लेसेन्ट’ में कुछ वर्ष पहले दो भारतीय डॉक्टरो का लेख छपा था, जिसमें बताया गया था कि लहसुन का प्रयोग हृदय रोग को रोकता है। डॉ अरुण बोनदिया तथा डॉ एच. सी. बंसल ने लिखा था कि कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो हृदय को रक्त पहुँचाने वाली रक्त वाहिनियों मे वसा के जमाव को रोकते हैं। ऐसे मरीजों को हमलोग लहसुन खाने की सलाह देते हैं। हमलोगों ने ऐसे प्रयोग से काफी हृदय रोगियों का सफल इलाज किया है।
एक परीक्षण के दौरान उन्होंने कुछ रोगियों को सौ ग्राम मक्खन खिलाया और उसके दुष्प्रभाव का अध्ययन किया। फिर उन्हीं रोगियों को सौ ग्राम घी खिलाया गया। देखा गया कि ऐसे रोगियों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ गयी और वसा के जमाव के कारण रक्त वाहिनियों में सिकुड़न पैदा होती गयी। बाद में उन्हीं रोगियों को उतनी ही मात्रा में मक्खन के साथ लहसुन भी खिलाया गया। फिर जब उनका परीक्षण किया गया तो पता चला उन रोगियों में वो सब हानिकारक प्रभाव कम हो गए थे, जो माखन व घी के अत्यधिक सेवन से पैदा हुए थे।
लहसुन के नियमित सेवन से रक्त साफ हो जाता है। सिर दर्द व श्वसन संबंधी रोगों पर नियंत्रण हो जाता है। यह कैंसर जैसे भयंकर रोग में भी लाभदायक है।
लहसुन चिर यौवन प्रदान करने की अचूक औषधि भी है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर 50 वर्ष की आयु में 50 दिनों तक निरंतर लहसुन का सेवन किया जाए तो 50 वर्ष का यौवनपूर्ण जीवन फिर से प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए लहसुन को भूलोक का अमृत भी कहा गया है।